मृत्तिका/ पाठ-१२/ क्लास १० हिन्दी नोट्स

क्लास १० हिन्दी मृत्तिका पाठ-१२ नोट्स इस आर्टिकल पर मिलेगा।
 

मृत्तिका/ पाठ-१२/ क्लास १० हिन्दी नोट्स

पाठ-१२
मृत्तिका

नरेश मेहता

कवि परिचय

नरेश मेहता का जन्म सन् 1922 में मालवा (मध्य प्रदेश) के शाजापुर कस्बे में हुआ था। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से एम.ए. करने के पश्चात उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो इलाहाबाद में कार्यक्रम अधिकारी के रू में कार्य प्रारंभ किया, तत्पश्चात विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करते हुए उन्होंने अनेक साहित्यिक पत्रों का संपादन भी किया। 
नरेश मेहता की ख्याति दूसरा सप्तक को के रूप में आरंभ हुई। आगे चलकर वे विविध विधाओं के यशस्वी रचनाकार के प्रमुख कवि रूप में जाने गए। नरेश मेहता को उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘वह पथ बंधु’ था के कारण विशेष प्रसिद्धि मिली। 

कवि के रूप में आरंभ में वे साम्यवादी विचार से प्रभावित थे, किन्तु बाद में उससे मोहभंग होने पर उन्होंने वैष्णव भावधारा को अपनाया। सन् 2000 में उनका निधन हो गया। बनपाखी सुनो, बोलने दो चीड़ को तथा मेरा समर्पित एकांत नरेश मेहता प्रसिद्ध काव्य-संग्रह है। संशय की एक रात उनका प्रसिद्ध खंड काव्य है। 

उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। नए कवि के रूप में नरेश मेहता की रचनाओं में दो बातें उभरकर सामने आती हैं- मानव मूल्य और अस्तित्व की खोज तथा आधुनिक संकट से उत्पन्न आशंका और भय की अभिव्यक्ति। 
मानव के भविष्य के प्रति उनका विश्वास उनकी हर रचना में विद्यमान है। उनकी रचनाओं में सर्वत्र आधुनिकता का नया स्वर बोलता है तथा शिल्प और अभिव्यंजना के स्तर पर उनमें ताजगी और नयापन है।



अभ्यास-माला 



बोध एवं विचार
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पूर्ण वाक्यो में दो :

(क) रौंदे जाने और जोते जाने पर भी मिट्टी किस रूप में बदल जाती है? अथवा, मृत्तिका कब मातृरूपा बन जाती है ? [HSLC-2016] 
उत्तर:- मिट्टी रौंदे और जोते जाने पर भी मातृरूपा हो जाती है। वह अपने पुत्रों को धन-धान्य से भर देती है। 

(ख) मिट्टी के मातृरूपा होने का क्या आशय है ?
उत्तर : मिट्टी के मातृरूपा होने का आशय है- वह मनुष्य को धन-धान्य देकर उसका पालन-पोषण करती है।

(ग) जब मनुष्य उद्यमशील रहकर अपने अहंकार को पराजित करता है, तो मिट्टी उसके लिए क्या बन जाती है ?
उत्तर : तब मिट्टी उसके लिए चिन्मयी शक्ति बन जाती है। वह उसकी आराध्या बन जाती है।

(घ) मिट्टी का खिलौना मृत्तिका का कौन सा परिवर्तन रूप है ? 
उत्तर : मिट्टी का खिलौना मुत्तिका प्रजारूपा हो जाती है।

(ङ) मृत्तिका किस रूप में मातृरूपा बव जाती है ? [HSLC-2018] 
उत्तर : मृत्तिका जब मनुष्य को धन-धान्य देकर पालन-पोषण करती है। 

(च) “जब तुम मुझे पैरो सं रौंदते हो”- यह काव्यांश किस पाठ से उद्धृत है? [HSLC-2019]
उत्तरः यह काव्यांश ‘मृत्तिका’ कविता में उद्धृत है। 

(छ) नरेश मेहता की पठित कविता का नाम क्या है? [HSLC-2020] 
त्तरः नरेश मेहता की पठित कविता का नाम ‘मृत्तिका’ है।

निबंध लेखन class 10 hindi

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखो : 



(क) मृत्तिका कविता में पुरुषार्थी मनुष्य के हाथों आकार पाती मिट्टी के किन-किन स्वरूपों का उल्लेख किया गया है? 
उत्तरः मृत्तिका कविता में कवि ने मिट्टी के माँ, प्रिया, शिशु और देवी (दैव) रूपों का उल्लेख किया है। 

माँ के रूप में वह मनुष्य को धन-धान्य देती है, प्रिया के रुप में सुंदर कलश और जल देती है, शिशु के रूप में खिलौने देती है और देवी के रूप में प्रतिभा बनकर बल प्रदान करती है।

(ख) मिट्टी के किस रूप को प्रिया रूप माना है ? क्यों ? [HSLC-2014] 
उत्तरः मिट्टी का कुंभ और कलश रुप प्रिया रूप है। क्योंकि इस रूप में मिट्टी मानव को अपने सुंदर ढलवाँ रूप से तथा मीठे जल से तृप्त करती है। इस प्रकार वह बाहर-भीतर से रसवती बनकर आती है। 

(ग) मिट्टी प्रजारूपा कैसे हो जाती है?
उत्तर: जब बच्चे खिलौनों के लिए मचलते हैं तो मानव अपने परिश्रम द्वारा मिट्टी को नए-नए खिलौनों का रूप दे देता है। इससे बच्चे प्रसन्न हो जाते हैं। इस प्रकार मिट्टी प्रजारूपा हो जाती है।

(घ) पुरुषार्थ को सबसे बड़ा देवत्व क्यों कहा गया है ? अथवा, कवि के अनुसार सबसे बड़ा
देवत्व क्या है ? [HSLC-2019] 
उत्तरः- पुरुषार्थ को सबसे बड़ा देवत्व कहा गया है क्योंकि उसी के प्रयत्न से मिट्टी अनेक रूपों में ढलती है। यदि मिट्टी पर प्रयत्न न किया जाए तो उसमें से कोई भी रूप नहीं बन सकता।

(ङ) मिट्टी और मनुष्य में तुम किसकी भूमिका को अधिक महत्वपूर्ण मानते है और क्यों?
उत्तर : मैं मिट्टी और मनुष्य में मनुष्य की भूमिका को अधिक महत्वपूर्ण मानता हूं, क्योंकि मिट्टी में उर्वरा शक्ति है, किंतु मानवीय श्रम के बिना वह सोई पड़ी रहती है। उससे कोई लाभ नहीं होता। 







3. भाव स्पष्ट करो 



(क) पर जब भी तुम अपने पुरुषार्थ-पराजित स्वत्व से मुझे पुकारते हो तब मैं अपने ग्राम्य के साथ चिन्मयी शक्ति हो जाती हैं। 
उत्तर : भाव यह है कि मिट्टी में असीम शक्तियाँ सोई पड़ी हैं। जब भी मनुष्य परास्त होने पर, या अहं भाव त्यागने पर उसकी शरण में जाता है, तब मिट्टी उसे अवश्य सहारा देती है। आवश्यकता पड़ने पर मिट्टी उसके लिए शक्ति का अवतार धारण करती है। 

(ख) यह सबसे बड़ा देवत्व है, कि तुम पुरुषार्थ करते मनुष्य हो और मैं स्वरूप पाती मृत्तिका। उत्तर: मनुष्य का सबसे बड़ा देवत्व यह है कि वह अपनी इच्छा से प्रेरित होकर पुरुषार्थ करता है। यही पुरुषार्थ ही देवत्व है। इसके होने पर मिट्टी स्वयं को अनेक रूपों में ढाल लेती है। अर्थात मनुष्य के पुरुषार्थ से सृष्टि में अनेक सुख-साधन बन जाते हैं।






अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 



1. मृतिका कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट करो। 
उत्तर:- नरेश मेहता द्वारा रचित मृत्तिका कविता का प्रतिपाद्य है – मानव के श्रम का महत्व बताना। कवि का कहना है कि मिट्टी में उर्वरा शक्ति है। 
किंतु वह मानवीय परिश्रम के बिना व्यर्थ है। मानव का श्रम ही मिट्टी की उपजाऊ-शक्ति में से मनचाहे उपयोगी रूप गढ़ सकता है। 
वह चाहे तो अपने लिए धन-धान्य पैदा कर सकता है। चाहे तो बच्चों के मनोरंजन के लिए खिलौने, अपने आनंद के लिए रसमय कलश तथा आत्मबल के लिए देवी की प्रतिमा का निर्माण कर सकता है। 
2. पुरुषार्थ मनुष्य के हाथों पड़कर मिट्टी कब मातृरूपा, अंतरंगप्रिय और प्रजारूपा हो जाती है?
उत्तर : मिट्टी के अंदर उसका देवत्व शक्ति छिपा रहता है। पुरुषार्थ के द्वारा ही उसका वह देवत्व शक्ति बाहर प्रकट होता है। 

जब मानव पुरुषार्थ करता है, मिट्टी को जोतता है तो मिट्टी धन-धान्य प्रदान करती है। जब मनुष्य मिट्टी को कुम्हार के चाक पर चढ़ाता है तो वह कुंभ और कलश प्रदान करती है। 

इसी भाँति वह मिट्टी को साँचे में ढालता है तो खिलौने बन जाते है और उस पर कलात्मक उद्यम करता है तो वह देव-मूर्ति बनकर मानसिक बल प्रदान करती है। 

मिट्टी का सारा देवत्व मानव के उद्यम पर निर्भर करता है। यदि मानव उद्यम ही न करे तो मिट्टी का देवत्व मिट्टी में ही धरा रह जाता है।

3. मृत्तिका के माता, पिता और प्रजा रूपों में से तुम्हें सबसे अच्छा रूप कौन-सा लगता है और क्यों?
उत्तर : मुझे मृत्तिका का माता रूप सबसे अधिक अच्छा लगता है। इस रूप में वह सारे संसार का पालन-पोषण करती है। यदि उसका यह रूप नष्ट हो जाए तो यह संसार नष्ट जाएगा। मिट्टी के इस रूप में हमारे जीवन के सुख हैं, हमारी सुरक्षा है। यही कारण है कि मुझे मिट्टी का माता रूप सर्वाधिक अच्छा लगता है। 

4. मिट्टी को चिन्मयी शक्ति क्यों कहा गया है ? अथवा, ‘मृत्तिका’ शीर्षक कविता में चिन्मयी शक्ति का अर्थ क्या है? [HSLC-2017, 20′]
उत्तर : मिट्टी को चिन्मयी शक्ति इसलिए कहा गया है, क्योंकि वह देवी की प्रतिमा बनकर समर्पित मानव को बल प्रदान करती है। 

5. कविता में सबसे बड़ा देवत्व किसे कहा गया है ? [HSLC-2014.17] अथवा, कवि नरेश मेहता जी के अनुसार सबसे बड़ा देवत्व क्या है ? 
उत्तर : कविता में मानव के परिश्रम को सबसे बड़ा देवत्व कहा गया है।

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